बी.एड. बनाम डी.एड. मामले में छत्तीसगढ़ प्रशासन को निवेदन “हमारी क्या गलती है” – Samachar Meri Pehchan

सम्पूर्ण घटनाक्रम:-

NCTE (National Council for Teacher Education)
एक ऐसी संस्था है जो शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण करती है, ऐसी संस्था जिसमें स्कूल शिक्षा, साक्षरता विभाग,
मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एन.सी.ई.आर.टी., सी.बी.एस. ई., नीति आयोग आदि प्रमुख संस्थाओं के शिक्षाविद शामिल हैं।

सन 2018 के पूर्व बी.एड. का कोर्स प्राथमिक में शिक्षण के लिए मान्य नहीं था। चूँकि प्राथमिक में शिक्षण हेतु पर्याप्त मात्रा में डी.एड. अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं थे, लिहाजा केंद्रीय विद्यालयों ने तत्कालीन भारत सरकार से इस बाबत पत्राचार किया, भारत सरकार के निर्देश पर NCTE ने जून 2018 में एक गजट प्रस्तुत किया।

NCTE जून 2018 को एक गजट प्रस्तुत करती है जिसके आधार पर बी.एड. कोर्स को ‘ब्रिज कोर्स’ के साथ प्राथमिक शिक्षा हेतु मान्य किया जाता है। छत्तीसगढ़ के राजपत्र 2019 में भी इसे प्रकाशित किया जाता है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य में बीएड तथा डीएड कोर्स में प्रवेश हेतु क्रमशः प्रीबीएड तथा प्रीडीएड की परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं। NCTE की गाइडलाईन के अनुसार यदि बीएड का प्रशिक्षण वर्ग 1,2,3 के लिए योग्य है तथा डीएड का प्रशिक्षण केवल वर्ग 2 और 3 के लिए योग्य है, तो कोई भी अभ्यर्थी सामान्य समझ से बीएड कोर्स को ही प्राथमिकता देगा। देश भर तथा छत्तीसगढ़ के लाखों छात्रों ने इसी गजट के आधार पर अपनी जमापूँजी लगाकर बी.एड. का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

“हमारी क्या गलती है”

दिनाँक 04 मई 2023 को लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) द्वारा छत्तीसगढ़ व्यापम के माध्यम से शिक्षकभर्ती का विज्ञापन जारी किया जाता है, जिसमें स्पष्टतः बीएड कोर्स को मान्य किया गया था। 10 जून 2023 को भर्ती परीक्षा आयोजित की जाती है तथा 2 जुलाई 2023 को परीक्षा का परिणाम तथा मेरिट लिस्ट जारी कर दिया जाता है। इस परीक्षा में डीएड तथा बीएड दोनों ही कोर्स के प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को बैठने का अवसर दिया गया, समान सिलेबस था, समान समय था। परीक्षा हेतु समान अवसर प्रदान किया गया। बीएड अथवा डीएड प्रशिक्षित जिन अभ्यर्थियों ने मेहनत की, वो अच्छे रैंक ले कर आये तथा मेरिट सूची में अपनी जगह बनाई।

इसी बीच 11 अगस्त 2023 को क्वालिटी ऑफ़ एजुकेशन के आधार पर सुप्रीमकोर्ट द्वारा NCTE के इस गजट को ही रद्द कर दिया जाता है तथा बी.एड. को प्राथमिक स्तर के लिए अमान्य ठहरा दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले को नौकरी का अवसर समझकर डी.एड. अभ्यर्थी बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हैं, जिनमें दर्जनों याचिकाकर्ताओं ने भर्ती परीक्षा ही नहीं दी थी, कई तो कटऑफ़ रैंक तक नहीं पहुँच पाए थे। पर 11 अगस्त 2023 के जजमेंट के आधार पर बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा 2 अप्रैल 2024 को बी.एड. प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षकों को 08 माह की सेवा के उपरांत पदमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया जाता है। जिसके विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में SLP 23565/2024 दायर कर चुनौती दी गई थी। सहायक शिक्षकों द्वारा भी कुछ SLPs लगाई गईं थी। दिनाँक 28 अगस्त 2024 को इस मामले की सुनवाई हुई, जहाँ माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा उक्त तमाम SLPs ख़ारिज कर दी गई हैं। इसका अर्थ है कि हाईकोर्ट द्वारा बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षकों की पदमुक्ति का आदेश ही प्रभावी होगा।

बी.एड. प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षक का क्या दोष है ???

इस पूरे प्रकरण में एक बी.एड. प्रशिक्षित नवनियुक्त का क्या दोष है ? सरकारी तथा विधिक संस्थाओं की ग़लतियों की सज़ा एक मेहनतकश युवा क्यों भुगते ? डीएड तथा बीएड प्रशिक्षित दोनों ही पक्ष के अभ्यर्थियों को समान समय मिला था, समान सिलेबस था। जो छात्र अपनी मेहनत तथा संघर्ष से मेरिट में स्थान बनाता है, उसे अयोग्य ठहराकर पीछे के रैंक वालों को नौकरी में अवसर दिया जाना, खेल की समाप्ति के पश्चात खेल के नियम बदल दिया जाना किस प्रकार से न्याय संगत है ?

बी.एड. प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षकों पर संकट:-

सैकड़ों अभ्यर्थी सरकारी तथा संविदा नौकरी से त्यागपत्र देकर 2023 की शिक्षक भर्ती में बतौर सहायक शिक्षक पदस्थ हुए हैं।

बीसियों ऐसे अभ्यर्थी हैं जो इसी भर्ती में वर्ग-2 हेतु योग्य थे किंतु अतिदूरस्थ स्थान पर पोस्टिंग, पारिवारिक तथा विविध कारणों से उन्हीने वर्ग-2 में न जाकर वर्ग-3 में नियुक्ति ली है।

इस भर्ती में नियुक्त अनेक अभ्यर्थी दिव्यांगता तथा एक्स सर्विसमैन की श्रेणी में आते हैं।

उक्त भर्ती में अनुसूचित जाति के उत्थान हेतु 62 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। पदमुक्ति के पश्चात अनुसूचित जाति तथा जनजाति के ही तक़रीबन 1500 सहायक शिक्षकों को बेरोज़गारी का दंश झेलना होगा, फिर इनका आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान किस प्रकार सम्भव है ?

यह नियुक्ति छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित, दूरस्थ तथा दुर्गम क्षेत्रों में हुई है, जहाँ नवनियुक्त अपनी पूरी क्षमता तथा कर्मठता से सेवारत हैं, पदमुक्ति के पश्चात इन क्षेत्रों में पूर्ण बहाली पर भी आशंका है।

SMP – रायगढ़ सांसद राधेश्याम राठिया को ज्ञापन

अनेक अभ्यर्थी उम्र सीमा पार कर जाने की वजह से आगामी भर्ती परीक्षाओं हेतु अयोग्य हो चुके हैं, उनका निदान किस प्रकार होगा ?

सैकड़ों अभ्यर्थी विविध कारणों से इस नौकरी के आधार पर लोन ले चुके हैं। ऐसे लॉगिन को बैंकरप्सी तक का सामना करना पड़ सकता है।

कई अभ्यर्थी इन 8 महीनों में परिणय सूत्र में बंध चुके हैं। उन सैकड़ों माता-पिताओं का क्या दोष है जिन्होंने एक सरकारी शिक्षक को योग्य वर जानकर अपनी बेटी ब्याह दी !

एक आम जनधारणा है कि बग़ैर फर्जीवाड़े अथवा किसी संगीन अपराध के सरकारी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जाता। निर्दोष होते हुए भी पदमुक्ति के आदेश के पश्चात इन नवनियुक्तों के सामाजिक अपयश के लिए कौन ज़िम्मेदार होगा ?

छत्तीसगढ़ शासन के कर्मचारी के रूप में हमने चुनाव ड्यूटी, ग्राम सर्वे, साक्षरता कार्यक्रम आदि कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाया है, इसके अलावा शासन द्वारा करोड़ों रुपये ख़र्च करके हमें अधिस्थापना प्रशिक्षण, F.L.N ट्रेनिंग , अँगना में शिक्षा, स्पीक इंग्लिश प्रोग्राम आदि प्रशिक्षण भी दिलावाया जा चुका है।

ग़लती किसकी ???

NCTE में भारत भर के शिक्षाविद शामिल हैं, इस संस्था द्वारा जारी किये गए गजट तथा गाइडलाईन को ही सभी राज्यों द्वारा अमल में लाया जाता है, पाँच साल के बाद इस संस्था द्वारा जारी किया गजट सुप्रीमकोर्ट द्वारा रद्द कर दिया जाता है, यदि चूक नीतिनिर्माताओं से हुई है तो इसकी सज़ा इन 5 सालों में नियमतः बीएड प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को क्यों दी जा रही है ?

दिनाँक 4 मई 2023 को भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया गया, 30 मई को यह नोटीफिकेशन हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया, परन्तु अभ्यर्थियों को विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। यदि नोटिफिकेशन में ही इस तथ्य का उल्लेख किया गया होता तो बी.एड. प्रशिक्षित अभ्यर्थी वर्ग-3 की बजाए केवल वर्ग -2 की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करते।

छत्तीसगढ़ राज्य में यह नियुक्ति 11अगस्त 2023 के बाद हुई है। यहाँ भी अभ्यर्थी की कोई ग़लती नहीं है, सम्पूर्ण प्रक्रिया का कार्यान्वयन तो विभाग के हाथों ही था। व्याख्याता, शिक्षक तथा सहायक शिक्षक तीनों वर्गों की सीधी भर्ती के लिए एक साथ ही एक विज्ञापन जारी किया गया था, तीनों वर्गों की काउंसलिंग तथा दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया एक साथ करवाई जा सकती थी, केवल सुविधा तथा प्रक्रिया के सुचारू रूप से क्रियान्वन के लिए वर्ग 1 की प्रक्रिया पहले सम्पन्न कराई गई, अन्यथा सहायक शिक्षक पद की भर्ती भी 11 अगस्त 2023 के पूर्व सम्भव थी।

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भ्रम:-

कोर्टरूम तथा मीडिया एवं सोशल मीडिया के समक्ष डी.एड. अभ्यर्थियों द्वारा यह भ्रम फ़ैलाने की कोशिश की जाती रही है कि डीएड का प्रशिक्षण केवल प्राईमरी के लिए मान्य है तथा उनके पास अधिक विकल्प उपलब्ध नहीं है , यह सरासर ग़लत तथ्य है, छत्तीसगढ़ राज्य में डी.एड. न केवल प्राईमरी बल्कि मीडिल स्तर (कक्षा 1 से 8 तक) के शिक्षण हेतु योग्य है साथ ही प्रमोशन के माध्यम से व्याख्याता पद पर भी नियुक्त किये जाते रहे हैं।

निराकरण:-

छत्तीसगढ़ शासन अपने विधिक तथा प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत निम्न बिंदुओं के आधार पर हम नवनियुक्त बीएड प्रशिक्षितों के सहायतार्थ प्रयास कर सकती है :-

1) नए पदों का सृजन कर : राज्य शासन सहायक शिक्षक के समान ग्रेड-पे पर ही नए पदों का सृजन कर माध्यमिक शालाओं अथवा उच्चतर माध्यमिक शालाओं में हमें शैक्षणिक सेवा का अवसर प्रदान करें, निश्चित समय के पश्चात शिक्षक पद में पदोन्नति के उपरांत वह पद स्वतः समाप्त हो जाये, ऐसी व्यवस्था करें।

2) समायोजन : छत्तीसगढ़ भर्ती नियम 2019 के अनुसार हमें सहायक शिक्षक के समकक्ष वेतन पर ही राज्य में शिक्षक (UDT) के 15588 रिक्त पदों में समायोजित किया जाए, हम अभ्यर्थी उक्त शिक्षक पद हेतु आवश्यक अहर्ताएं रखते हैं।

3) अध्यादेश : माननीय छत्तीसगढ़ शासन अध्यादेश लाकर हमें कक्षा 6 से 8 में शिक्षण हेतु शिक्षक पद पर नियुक्त करें।

निवेदन :-

माननीय से करबद्ध निवेदन है कि हम मेहनतकश बी.एड. प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षक जिनकी सँख्या 2900 है, विगत एक वर्ष से छत्तीसगढ़ शासन के कर्मचारी के रूप में बस्तर और सरगुजा संभाग के दुर्गम स्थलों में सेवारत हैं तथा पूरे नियमों के तहत् हमें नियुक्ति मिली है। माननीय न्यायालय द्वारा पदमुक्त किए जाने पर न केवल हमें बल्कि हमसे जुड़े हुए 20000 से 25000 परिवार के सदस्यों के समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो जायेगा। श्रम से अर्जित नियुक्ति छीन लिए जाने पर सामाजिक अपयश, आर्थिक संकट तथा मानसिक यंत्रणाएँ हममें से कईयों को अनुचित क़दम उठाने की ओर प्रेषित कर सकती हैं।

SMP – छत्तीसगढ़ सीएम हाउस में ज्ञापन

अतः श्रीमान की करुणामयी प्रकृति से निवेदन है कि हमारी मार्मिक दशा को छत्तीसगढ़ शासन के संज्ञान में लाने हेतु हमारी सहायता करें। माननीय राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के तहत उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर हम निर्दोषों की विधिक तथा प्रशासनिक सहायता करने का यथासम्भव प्रयत्न करें।

🔳सम्भावित सवाल:-

1) माननीय मुख्यमंत्री द्वारा लोकसभा चुनाव के पूर्व इस मामले के सम्बंध में मीडिया को बयान दिया गया था कि नियुक्त शिक्षकों को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा, कोई बीच का रास्ता अपनाया जाएगा, तो सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद क्या माननीय मुख्यमंत्री जी इस विषय पर कोई क़दम उठा रहे हैं ?

2) इस पूरे मामले में NCTE जैसी पॉलिसीमेकर संस्था पर सवाल क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं ? चूँकि पदमुक्ति का आदेश न्यायालय द्वारा दिया गया है, इससे अभ्यर्थी की छवि ही ख़राब हो रही है, जबकि वह पूर्णतः निर्दोष है।

3) विज्ञापिन में निहित आवश्यक शैक्षिक अहर्ता धारण करने तथा गाइडलाईन फॉलो करने के बाद भी निर्दोष नवनियुक्तों को पदमुक्त किया जा रहा है, प्रदेश के लाखों बेरोज़गार नवयुवकों पर इसका क्या असर पड़ेगा ?

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