ब्यूरो रिपोर्ट कवर्धा :- छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं जहां इनकी परंपराएं और प्रथाएं भी दूसरे लोगों से अलग होती हैं, आपको बता दें कवर्धा जिले के बोडला विकासखंड में गौरिया जाति के लोग रहते हैं , इस समुदाय के लोग आज भी अपनी परंपरा को मानते हैं , यहां आज भी बेटियों के विवाह के दहेज में गौरिया समुदाय अपनी परंपरा के अनुसार बेटियों को शादी में 9 सांपों का दहेज देकर सुखमय जीवन जीने का आशीर्वाद देते हैं , यह रीति रिवाज उनके समुदाय में वर्षों से चली आ रही है , 21 वीं सदी के चकाचौंध के बीच आज भी यह लोग परंपरा और मान्यताएं मानते हैं।
जिसके पास जितना ज्यादा जहरीले सांप वही अच्छा दूल्हा
शादी से पहले जब कोई पिता अपनी बेटी के लिए अच्छे रिश्ते की तलाश करता है तो इस समुदाय के लोग धन दौलत नहीं, बल्कि जहरीले सांपों के बारे में पूछते है , कहा जाता है कि जिसके पास ज्यादा जहरीले सांप होते हैं, वही अच्छा दूल्हा माना जाता है।
पिता अपनी बेटी को दहेज में 9 सांप देते हैं
बेटियों द्वारा सांपों के साथ खेल-खेल में बड़े होने के बाद जब बेटी के विवाह का समय आता है तो यही सांप को बेटियों को दहेज में दिए जाते हैं , गौरिया समुदाय में बेटी के विवाह पर पिता अपने दामाद को 9 सांप दहेज में देता है ताकि उसका दामाद अपनी आजीविका चला सके , इसे पिता रोजगार का साधन मानते हैं , परिवारों का मानना है कि सांप देनें से दूल्हा उनकी बेटी का जीवन भर गुजारा इन सांपों से कर सकता है।

कवर्धा जिले के बोडला विकासखंड के इस बस्ती में हर घर में कई प्रजाति की सांप देखने को मिल जाएंगे यहां के बच्चे बचपन से खिलौनों की जगह सांप के साथ खेलना शुरू कर देते हैं और देखते ही देखते सांप ही इनके खास साथी बन जाते हैं। बच्चों को बचपन से ही सांप पकड़वाने के गुण सिखाए जाते हैं।
नागपंचमी के दिन कई स्थानों पर सांप लेकर निकलते हैं सदस्य
जिले की नागपंचमी बस्ती में रहने वाले लोगों ने बताया कि पहले वे अमरकंटक मार्ग के कोटा परिक्षेत्र के जंगल में रहते थे वहां इनका डेरा था, लेकिन अब पिछले कई साल से यहां निवासरत हैं उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही समुदाय के लोग रोजी रोटी के लिए पिटारे में सांप लेकर निकल गए सभी परिवार अलग-अलग क्षेत्र में गए हैं जहां आज नागपंचमी के शुभ अवसर पर सांप का प्रदर्शन दिखाकर कुछ पैसे कमा सकेगें।